कोरोना
चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस की चपेट में भारत समेत दुनियाभर के लाखों लोग हैं। इसके वैक्सीन से लेकर इसका इलाज ढूंढे जाने को लेकर दुनियाभर के कई देशों में रिसर्च हो रहे हैं। अमेरिका में जहां इसके वैक्सीन का मानव शरीर पर परीक्षण हो चुका है, वहीं भारत में दवा कंपनी सिप्ला ने छह महीने में इसकी दवा बनाने का दावा किया है। कोरोना वायरस के स्ट्रेन को अलग करने में भी भारत और चीन समेत अन्य देशों ने सफलता पाई है। लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के लिए चुनौती यही है कि कोरोना वायरस जिस तेज रफ्तार से फैल रहा है, उससे ज्यादा रफ्तार से रिसर्च करनी होगी, ताकि इस वायरस का तोड़ पता चल सके।
Coronavirus के खिलाफ बड़ी कामयाबी, सुपर कंप्यूटर ने संक्रमण रोकने वाले 77 रसायनों की पहचान की
Sunday, March 22, 2020
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चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस की चपेट में भारत समेत दुनियाभर के लाखों लोग हैं। इसके वैक्सीन से लेकर इसका इलाज ढूंढे जाने को लेकर दुनियाभर के कई देशों में रिसर्च हो रहे हैं। अमेरिका में जहां इसके वैक्सीन का मानव शरीर पर परीक्षण हो चुका है, वहीं भारत में दवा कंपनी सिप्ला ने छह महीने में इसकी दवा बनाने का दावा किया है। कोरोना वायरस के स्ट्रेन को अलग करने में भी भारत और चीन समेत अन्य देशों ने सफलता पाई है। लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के लिए चुनौती यही है कि कोरोना वायरस जिस तेज रफ्तार से फैल रहा है, उससे ज्यादा रफ्तार से रिसर्च करनी होगी, ताकि इस वायरस का तोड़ पता चल सके।
इस दिशा में वैज्ञानिक काम भी कर रहे हैं।
दरअसल, वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस का तोड़ ढूंढने के लिए सुपर कंप्यूटर की मदद ली है। दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर समित की मदद से वैज्ञानिकों ने दवा के 77 ऐसे कंपाउंड्स यानी रसायन की पहचान की है, जो कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने में मदद मिल सकती है।
एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड इस सुपर कम्प्यूटर ने जिन 77 केमिकल की पहचान की है, वे कोरोना वायरस को शरीर की अन्य कोशिकाओं में फैलने से रोकते हैं। ऑक रिज नेशनल लैबोरेट्री ने प्रकाशित एक हेल्थ जर्नल में दावा किया है कि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण में तत्काल राहत देने वाली दवा बनाने में मदद मिलेगी।
एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड इस सुपर कम्प्यूटर ने जिन 77 केमिकल की पहचान की है, वे कोरोना वायरस को शरीर की अन्य कोशिकाओं में फैलने से रोकते हैं। ऑक रिज नेशनल लैबोरेट्री ने प्रकाशित एक हेल्थ जर्नल में दावा किया है कि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण में तत्काल राहत देने वाली दवा बनाने में मदद मिलेगी।
अमेरिका के टेनिसी स्थित ओक नेशनल लैबोरेट्री के मुताबिक कोरोना वायरस पहले मानव शरीर की बाहरी कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। सुपर कंप्यूटर समिट का काम ऐसी कोशिकाओं की पहचान करना है और फिर दवा से वायरस के फैलने को रोकना है। ओक रिज रिसर्चर मिकोलस स्मिथ के मुताबिक उन्होंने कोरोना वायरस की पहचान करने वाला मॉडल तैयार किया है। जनवरी में बनाया गया यह मॉडल बताता है कि कैसे अणु और दूसरे कण दवा के साथ प्रतिक्रिया करते हैं।
सुपर कम्प्यूटर ने ऐसे कंपाउंड की पहचान की है, जो प्रोटीन वायरस को रोकते हैं। यह संक्रमित कोशिकाओं को भी रोकने में सक्षम हैं। मालूम हो कि दुनिया की समस्याओं को सुलझाने के लिए ही सुपर कंप्यूटर समिट का निर्माण किया गया है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने साल 2014 में समिट पर काम शुरू किया था। यह सुपर कंप्यूटर 200 पेटाफ्लॉप की गणना कर सकता है। यह सबसे तेज लैपटॉप से 10 लाख गुना ज्यादा पॉवरफुल है। अब रिसर्चरों की टीम दोबारा समिट पर इन 77 कंपाउंड की जांच करेगी।
मालूम हो कि 180 से ज्यादा देशों में फैल चुके कोरोना वायरस से तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। रविवार सुबह तक 13 हजार से ज्यादा लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है। हालांकि थोड़ी राहत इस बात की भी है कि दुनियाभर में इससे संक्रमित 95 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं।
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